top of page
Dr. Ateendra Jha
Home
7
खूनी कमरबंद
हम मजबूर तब भी नहीं थे, हम मजबूर अब भी नहीं हैं।
बस फितरत नहीं है, किसी को रुलाने की।
कभी समय मिले झाँक कर देख लेना अपने कमरबंद में,
मेरे खून की लाली दिखेगी, उनके चमक में।
हम मजबूर तब भी नहीं थे, हम मजबूर अब भी नहीं हैं। बस फितरत नहीं है......
March 27, 2021
© drateendrajha.com
Shayari
खूनी कमरबंद
Like it
Read
29
bottom of page