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फिसल गए

क्या खूब रफ़्तार थी तेरी ज़िन्दगी की,
साथ राहगीर छोर निकल गए।
अफसोस इस बात का नहीं , कि तुम आगे निकल गए ,
अफसोस इस बात का है, तुम दौरे नहीं , फिसल गए।

क्या खूब रफ़्तार थी तेरी ज़िन्दगी की

March 23, 2021

© drateendrajha.com

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Shayari

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