आसमाँ से मत पूछ, कितने कहर झेलें हैं,
उसने तो हर बदलते वक्त को सहेजे हैं।
हम भी किसी ज़मांने में मोहब्बत को तबज्जो दिया करते थे,
पर वक्त ने बतला दिया, कितनों ने इसे खेल समछ खेलें हैं।।
आसमाँ से मत पूछ, कितने कहर झेलें हैं, उसने तो....
March 23, 2021 at 7:12:41 PM